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मैं,मैं हूँ! जब तक तुम,तुम हो !
तुमसे सारे रंग रंगीले
तुमसे सारे साज सजीले,
नैनों की सब धूप छाँव तुम,
होठों की मुस्कान तुम ही हो।
मैं,मैं हूँ! जब तक तुम,तुम हो !
तुमसे प्रीत के सारे मौसम
तुमसे सूत,तुम ही से रेशम
तुमसे लाली,तुमसे कंगन,
मन उपवन के राग तुम ही हो
मैं,मैं हूँ! जब तक तुम,तुम हो !
जीवन का यह सार तुम्हारा,
मेरा सब संसार तुम्हारा,
गुण अवगुण मेरे सब जानो,
मुझमे बसे मेरे प्राण तुम ही हो।
मैं,मैं हूँ! जब तक तुम,तुम हो !।।
बहुत सुंदर जी
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Nice
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👌👌👌👌
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Awesome 👌
ऐसा लग रहा है जैसे जीवन साथी का सार है
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Awesome
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Bahut khubsurat Dr sahiba
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Dr mam 👌👌👌you are best👍👍
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Superb
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बहुत खूब डॉ साहिबा 👌👌❣️
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Beautiful
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