लता जी को श्रद्धांजलि
जब जब देखूं मैं ये चाँद सितारे
ऐसा लगता है मुझे लाज के मारे
जैसे कोई डोली जैसे बारात है
जाने क्या बात है जाने क्या बात है
जाने क्या बात है जाने क्या बात है.
नींद नहीं आती बड़ी लंबी रात है…..
अपनी म्यूजिक क्लास में चांदी अपनी संगीत गुरु कला दीदी के सिखाए सुगम संगीत के अभ्यास में मगन थी…
.. कला दीदी का वह 4 कमरों का घर बिल्कुल ही मेन रोड पर था और उसके सबसे बाहरी कमरे में ही उनकी म्यूजिक की कक्षाएं चला करती थी …
शाम के समय अक्सर जिस वक्त पर चांदी और बाकी लड़कियां क्लास किया करती थी उसी समय पर स्कूल छूटने के बाद रजत और उसके दोस्त घर के बाहर से गुजरा करते थे। बाकी लोग तो बात करते अपनी साइकिल घसीटते निकल जाते लेकिन रजत जाने क्यों उस आवाज को सुनकर अक्सर वहां ठहर जाता और जब तक चांदी अंदर गाया करती तब तक बाहर खड़े हो सुनता रहता। चांदी का गाना खत्म होते ही वह चला जाया करता।
उसे खुद भी नहीं पता चला कि कब से यह सिलसिला चल रहा था लेकिन यह सिलसिला चलता रहा। लगभग छह सात महीने बाद शाम के वक्त गुजरने पर चांदी की आवाज सुनाई देनी बंद हो गई, तब रजत का माथा ठनका कि अचानक ऐसा क्या हुआ ?
चार दिन तक जब आवाज नहीं सुनाई दी तो एक दिन शाम को उसने ही आगे बढ़कर कला दीदी का दरवाजा खटका दिया…
” बोलो क्या काम है? “
24-25 साल की लता दीदी ने जब अपने सामने खड़े एक सोलह सत्रह साल के किशोर को देखा तो उनके माथे पर शिकन उभर आई..
” जी यहां कोई संगीत की कक्षाएं चलती हैं?”
” हां मैं ही लेती हूं, वह कक्षाएं लेकिन सिर्फ लड़कियों को सिखाती हूं…
” हां जी, मुझे मेरी बहन के लिए पूछना था, क्या अभी भी आप कक्षाएं ले रही हैं?”
” हां कक्षाएं ले तो रही हूं, लेकिन अभी फाइनल एग्जाम का वक्त होने से लड़कियों ने आना बंद कर दिया है। लगभग महीने भर बाद कक्षाएं वापस शुरू हो जाएंगी, तब आप चाहे तो अपनी बहन को भेज सकते हैं..!
रजत को अपना मनचाहा जवाब मिल चुका था। उसे समझ आ गया था कि फाइनल एग्जाम का महीना आ जाने से शायद वह लड़की भी एग्जाम की तैयारियों के कारण म्यूजिक क्लास आना बंद कर चुकी होगी… वह मुस्कुराते हुए अपने बालों पर हाथ फेरता वहां से बाहर निकल गया। रास्ते पर खड़ा उसका दोस्त रोमी उसे देख रहा था…
” मिल गई जिसे ढूंढने गया था?
” नहीं वह तो नहीं मिली लेकिन कारण मिल गया कि क्यों आजकल उसकी आवाज सुनाई नहीं देती।
” एक बात बता, तूने आज तक सिर्फ उसकी आवाज सुनी है कहीं वह तुझ से दुगनी उमर की निकली तब?
” तब की तब देखी जाएगी अभी तो तू चल हमें भी एग्जाम की तैयारियों में जुटना है।
एक महीना अपनी अपनी व्यस्तताओं मैं बीत गया ….
तुम जो कह दो तो
आज की रात चाँद डूबेगा नहीं
रात को रोक लो
रात की बात है
और ज़िन्दगी बाकी तो नहीं
तेरे बिना ज़िन्दगी से…
तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई
शिकवा तो नहीं, शिकवा नहीं, शिकवा नहीं
तेरे बिना ज़िन्दगी भी लेकिन
ज़िन्दगी तो नहीं, ज़िन्दगी नहीं, ज़िन्दगी नहीं
तेरे बिना ज़िन्दगी से…
एक बार फिर उसी मखमली आवाज में रजत डूब कर रह गया..
आखिर कौन थी यह लड़की जो इतने खूबसूरत गानों को अपनी इतनी खूबसूरत आवाज से और भी खूबसूरत कर जाती थी। आज रजत का मन नहीं माना और उसने सोच लिया कि आज तो वो उसे देख कर ही जाएगा।
अपनी साइकिल को थामे हुए वह कुछ दूर आगे बढ़कर रास्ते के एक तरफ खड़ा हो गया। लगभग आधे घंटे के बाद कुछ तीन चार लड़कियां घर से बाहर निकली और बातें करते हुए उसके सामने से होते हुए आगे बढ़ गई, लेकिन वह उनमें से उस मखमली आवाज की परी को ढूंढ नहीं पाया….
उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह उन में से कैसे उस लड़की को ढूंढे आखिर अगले दिन उसने एक उपाय किया…
एक पर्ची में उसने चांदी के पिछले दिन के गाए गाने को लिखने के साथ ही नीचे उस गाने की ढेर सारी तारीफ भी लिख दी..
” आप कौन हैं, मैं नहीं जानता लेकिन आप बहुत अच्छा गाती हैं।
जबसे आपके मुंह से ‘तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा’ सुना है तब से यह मेरे पसंदीदा गानों में शुमार हो चुका है।
मेरा एक और बेहद पसंदीदा गीत है, अगर कभी आप गा सकें तो बड़ी मेहरबानी होगी। गाना नीचे लिख कर भेज रहा हूं..
आपका एक फैन
कोरा कागज था ये मन मेरा
लिख दिया नाम इसमें तेरा
सूना आंगन था जीवन मेरा
बस गया प्यार इसमें तेरा….
उस पर्ची को उसने उन लड़कियों के क्लास में पहुंचने के कुछ समय पहले घर के दरवाजे के बाहर जाकर चिपका दिया और दूर अपनी साइकिल पर खड़ा उस दरवाजे पर नजर रखे रहा ,कुछ समय बाद एक-एक कर लड़कियां अंदर आने लगी उनमें से एक लड़की की नजर दरवाजे पर चिपकी उस पर्ची पर पड़ी और उसने उस पर्ची को निकाल लिया..
रजत की धड़कन इतनी तेज भाग रही थी कि उसे अपने कानों में अपनी धड़कन साफ सुनाई पड़ रही थी। अपने दिल को समेटे वह कुछ देर बाद घर के सामने से गुजरने लगा कि तभी उसके कानों में वही मीठी सी आवाज पड़ी
चैन गवाया मैंने नींदिया गंवाई
सारी सारी रात जागूं दू मैं दुहाई
कहूँ क्या मैं आगे, नेहा लागे जी ना लागे
कोई दुश्मन था ये मन मेरा
बन गया मीत जाके तेरा
कोरा काग़ज़ था ये मन मेरा….
रजत के दिल में फुलझड़ियां छूटने लगी उसके चेहरे की मुस्कान बता रही थी कि वह आज कितना खुश था। अपने बालों पर हाथ फेरते ही खुद में मगन वो अपनी साइकिल थामे अपने घर की ओर निकल चला ..
लेकिन अब यह रोज-रोज का सिलसिला बन गया! रोज रजत उनकी क्लास से पहले एक पर्ची दरवाजे पर चिपका जाता और सुगम संगीत की क्लास में चांदी उसी गाने को गा कर सुना देती….
और आखिर वह दिन भी आ गया जिसका रजत बेसब्री से इंतजार कर रहा था, उसका रिजल्ट आ चुका था और उसने बहुत अच्छे नंबरों से अपनी 12वीं की परीक्षा पास कर ली थी…
आज उसने जो पर्ची लिखी उसमें उसने अपने रिजल्ट के बारे में लिखा था…
” मेरा रिजल्ट आ गया है, मैं पास हो गया हूं।और अब आगे की पढ़ाई के लिए मैं दूसरे शहर जा रहा हूं। पता नहीं अब कब तुमसे मिलना होगा? लेकिन तुम्हारी मीठी सी आवाज को अपने दिल में छुपा कर ले जा रहा हूं। मुझे विश्वास है हम कभी ना कभी जरूर मिलेंगे, वैसे बाहर जाने से पहले मैं एक बार तुमसे मिलना चाहता हूं..
… अगर तुम भी मुझसे मिलना चाहती हो तो यही पास में सेंट जेवियर स्कूल है उसके पीछे के ग्राउंड में अमरूद के पेड़ के पास कल शाम 5 बजे पहुंच जाना…
मैं तुम्हारा इंतजार करूंगा…
.. और आज का गाना तुम तुम्हारी पसंद से गा कर सुना दो…
पास बुला के गले से लगा के
तुने तो बदल डाली दुनिया
नए हैं, नजारे नए हैं इशारे
रही ना वो कल वाली दुनिया
सपने दिखाके ये क्या किया
ओ रे पिया ओ ओ..
तुने ओ रंगीले कैसा जादू किया
पिया पिया बोले मतवाला जिया…
चांदी का गाया गीत सुन उसके चेहरे पर एक मुस्कान चली आयी और वो अगली शाम का इंतजार करते वहाँ से चला गया…
अगले दिन वो अपने स्कूल के बाहर अमरूद के पेड़ के पास उसका इंतजार करता रहा लेकिन वो नहीं आयी और आखिर काफी घंटों के इंतजार के बाद थक कर वो वापस लौट गया…….
वक़्त बीतता गया … ऐसा नहीं था कि बाहर पढ़ने जाने के बाद रजत कभी अपने शहर नहीं लौटा , लौटा कई बार लौटा… कई बार उसका अपने शहर आना हुआ, उस गली के सामने से गुजरना भी हुआ , लेकिन फिर वो शाम, वो नगमें और वो मखमली आवाज वापस नहीं आयी..
एक बार तो वो उस घर पर भी गया, लेकिन वहाँ दरवाजा किसी खड़ूस से आदमी ने खोला
“क्या काम है?”
“जी वो यहां एक म्युज़िक क्लास हुआ करती थी , क्या मैं उन संगीत टीचर से मिल सकता हूँ?”
” नहीं मिल सकते ?”
“क्यों?”
” क्योंकि अब वो यहाँ नहीं रहतीं, उसकी शादी हो गई और वो अपने घर चली गयी, हम उनके बाद आने वाले किराएदार हैं?”
“ओह, क्या उनका नम्बर मिल सकता है ?”
” नहीं मिल सकता क्योंकि हमारे पास भी नहीं है!”
रजत भारी निराशा के साथ आगे बढ़ गया .. पास ही किसी चाय की टपरी पर गाना चल रहा था ..
सांझ ढले गगन तले
हम कितने एकाकी
छोड़ चले नैनो को
किरणों के पाखी
गाना सुनकर रजत सोचने लगा कि वाकई उन शामों कि बात ही कुछ और थी … लेकिन अब उन सिंदूरी शामों को दिलकश बनाने वाली उस जादूगरनी को कहां जाकर ढूंढे ?
भारी मन से वो वापस अपने कॉलेज लौट गया…
दिन बीतते गए….
कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर रजत कैम्पस सेलेक्शन की नैया में बैठ कर मुंबई पहुंच गया और अपने चमचमाते फाईव स्टार ऑफ़िस की भूलभुलैया में भटक कर रह गया..
और वो स्कूल की सुरमयी सुरीली शामें जिंदगी की एक खूबसूरत सी याद बन कर रह गईं ….
ऑफ़िस में एक लड़की मन को भाने लगी , उसे भी रजत में एक अच्छे जीवनसाथी के गुण नजर आने लगे, दोनों के बीच दोस्ती हो गयी…
दोनों की पहली डेट पर दोनों सीसीडी में आमने सामने बैठे थे…
” काम के अलावा और क्या करती हो, मेरा मतलब तुम्हारे शौक क्या हैं?”
“लिसन रजत मुझे कुकिंग का कोई शौक नहीं है , लेकिन हाँ फिटनेस फिक्र हूं , हेल्दी खाना ही पसंद है और जिम में पसीना बहाना बहुत पसंद है..
“ओके, मैं तो ये जानना चाहता था कि, गानों का कोई शौक है?”
“हाँ सुनती हूँ, जिम में लाउड म्युज़िक हो तो बात ही क्या ? रॉक, पॉप, जैज़ ब्लूस सब सुनती हूं..”
“नहीं वो म्यूजिक नहीं, मैं हिन्दी फ़िल्मों के गानों की बात कर रहा हूं, स्पेशली लता मंगेशकर जी के गाने..”
“नेवर यार, कभी नहीं सुने मैंने तो.. हाँ तुम्हें पसंद है तो सुनकर देखूँ लूँगी, बट फ्रैंकली स्पीकिंग मुझे ये रिरियाते हुए धीमी म्यूजिक वाले गाने बकवास ही लगते हैं…
इसके बाद भी वो काफी कुछ कहती रही लेकिन फिर रजत को कुछ सुनायी नहीं दिया …
और उनकी ये दोस्ती एक कदम आगे बढ़ पाती उसके पहले ही रजत ने अपने कदम पीछे खिंच लिए..
घर पर भी उसके लिए लड़कियाँ देखी जाने लगी, लेकिन हर जगह रजत की घड़ी एक ही सुई पर अटक जाती…
इत्तेफाक कह लो या बदकिस्मती की, रजत को आज तक एक भी लड़की ऐसी नहीं मिली जिसे लता मंगेशकर जी के गाने सुनने या गाने का शौक हो..
उसके दिमाग के किसी हिस्से में आज भी वो स्कूल के ज़माने का रजत जिंदा था जो हर शाम एक मखमली आवाज में खोया सा अपने घर पहुंचता था …
कुछ दिनों बाद रजत ऑफ़िस से छुट्टी लेकर अपने शहर गया उसके बुआ के लड़के की शादी थी…
.. शादी की धूमधाम में मगन रजत हर किसी का का टार्गेट था, सभी चाची मामी ताई उसे ही पकड़ पकड़ कर शादी कर लेने की दुहाई दे रही थी, वो खुद भी तो चाहता था कि शादी कर के सेटल हो जाए पर जाने उसका मन कहाँ अटका पड़ा था..
शादी की तैयारियों के बीच आखिर बारात वाली रात आ ही गई.. ..
बारात लग गयी थी, द्वारचार के बाद सभी हंसते मुस्कराते अंदर चले गए ..
अंदर आरकेस्ट्रा में एक गायक कुछ धुनें गुनगुना रहा था….
उसके बाद लड़की वालों में से एक एक कर के दो तीन लोग आए और माईक पर अपना कारनामा दिखा कर चले गए तभी वही मखमली सी आवाज हवाओं में गूंज उठी…
कोई आहट सी, अंधेरों में चमक जाती है
रात आती है, तो तनहाई महक जाती है
तुम मिले हो या मोहब्बत ने ग़ज़ल गाई है
अजनबी कौन हो तुम…
अजनबी कौन हो तुम, जबसे तुम्हें देखा है
सारी दुनिया मेरी आँखों में सिमट आई है ….
उस आवाज को सुनते ही रजत ने पहचान लिया , उसने तुरंत हाथ में पकड़ रखी खाने की प्लेट एक तरफ़ रखी और भाग कर आरकेस्ट्रा तक पहुंचा और वहाँ माईक पर गाती उस सलोनी सी लड़की को देखते ही उस पर दिल हार गया…
… लेकिन असल परिक्षा तो अब थी क्या पता ये वहीं थी या नहीं?
और क्या पता ये कुंवारी है या शादीशुदा?
सोचने को बहुत सी बाते थी लेकिन अब रजत को सोचना नहीं था, उसे बस किसी भी हाल में उस लड़की से एक बार तो बात करनी ही थी ….
गाना गाकर वो जैसे ही नीचे उतरीं रजत तुरंत उस तक पहुंच गया …
“हैलो मैं रजत! दूल्हे का कजिन, मेरी बुआ जी का बेटा हैं वो”
” मैं चांदी! दुल्हन की दोस्त हूं!”
“आप इसी शहर की हैं? मेरा मतलब है क्या आप बचपन से यहीं रहती आयी हैं ?”
पूछने को तो पूछ गया लेकिन मन ही मन ऐसे फ्लर्ट करते हुए वो घबरा भी रहा था , कि जाने सामने वाली कैसे रिएक्ट करेगी? कहीं अपने किसी भाई वाई को बुलवा कर पिटवा ना दे ?
लेकिन उसकी सोच से उल्टा वो लड़की मुस्कराने लगी…
“जी हाँ बचपन से यही रहती आईं हूं और जब दसवी में पढ़ रही थी तब सेंट जेवियर्स के पास म्यूजिक सीखने जाया करती थी, फिर दीदी की शादी हो गई और मेरा क्लास जाना छुट गया..
रजत के चेहरे पर एक लंबी सी मुस्कान तैर गई ..उसे यकीन नहीं आ रहा था की उसके सामने वहीं जादूगरनी खड़ी है जिसने आज तक उसका दिल चुरा कर अपने पास छिपाए रखा था ….
उसे लगा वो सामने खड़ी चांदी को अपने सीने से लगा ले , लेकिन हर बार मन का हो जाए ऐसा सम्भव भी तो नहीं …
… वो मुस्करा रहा था कि तभी चांदी आगे बोल पडी..
“तुम्हारी पर्ची पर लिखे गाने मुझे भी बहुत पसंद थे, इनफैक्ट लता जी मेरी फेवरेट सिंगर हैं…
” मेरी भी !! पर एक मिनट तुमने मुझे पहचाना कैसे ?
“मैं उस वक़्त ही तुम्हें देख चुकी थी , हमारे क्लास जाने और लौटने के वक्त पर तुम अपनी साइकल लिए दूर खड़े रहते थे, मैंने तो कई बार तुम्हें देखा था !”
“फिर मिलने क्यों नहीं आईं, जब मैंने बुलाया था!”
” आने वालीं थी लेकिन उसी सुबह दादी नहीं रहीं और फिर मैं आ नहीं पायीं! कुछ समय बाद क्लास जाना शुरू किया पर फिर तुम्हारा आना बंद हो गया.. तुम्हारे चेहरे के अलावा तुम्हारे बारे में कुछ भी नहीं पता था कि तुम्हें ढूंढ पाती तो बस नहीं ढूँढ पाई…
“तुम्हारी शादी हो गई चांदी?”
” नहीं, और तुम्हारी….?
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एक मुस्कराहट के साथ वो शाम ढलने लगी….
रोज़ शाम आती थी, मगर ऐसी न थी
रोज़ रोज़ घटा छाती थी, मगर ऐसी न थी
ये आज मेरी ज़िन्दगी में कौन आ गया
रोज़ शाम आती थी…
….कहानी तो अब शुरू हुई है….
दिल से ..
प्रेम कहानियाँ लिखते का सारा मूड आपके गीतों से ही बनता रहा है लता जी और आगे भी बनता रहेगा …
आपकी मखमली आवाज और आप अमर हैं!!
सादर श्रद्धांजलि..
aparna ….
सादर नमन🙏
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We r missing you on the blog
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Bahut hi sandaar👌👌👌👌🌹🌹🌹
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खूबसूरत कहानी
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Magical story by a magical writer for a megical singer 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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Really.. hm sabhi unke gane sunke hi bade hue hai..
Wo ek daur hi tha…Aaj bhi situation ke hisab se unke gane kano me gunjan karte h..
Love you Lata ji
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Suchi shradhanjali mam…Lata ji or unke gane humesha humare dil me rahenge
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