एहसासों से रंगों को चुराकर
लफ़्ज़ों के मोतियाँ पिरोकर
गुनती हूँ कुछ किस्सों को यूँ
बिना क्लिक तस्वीर बनाकर
शहद सी मीठी कोई कहानी
कहीं दर्द की बहती रवानी
बूंद बूंद में ढकीं मूंदी सी
पोटली बादलों का पानी।
गंगा के पानी सी पावन
कभी लगे रिमझिम मनभावन
आप सभी की समीक्षाएँ भी
ऊसर में जैसे हो सावन ।।
कुछ शब्दों के जाल बुने
कुछ उल्टे सीधे फाल चुने
कटा सफर अब तक कुछ यूं
भर भर सपनों के ढाल गुने।
कविता तो जितना लिखती जाऊंगी उतनी ही आगे बढ़ती जाएगी, इसलिए कम शब्दों में अब तक का लेखन सफर बेहद शानदार रहा। बेशक बहुत सारे अचीवमेंट्स हैं मेरे खाते में, जैसे लंबी कहानियाँ लिख पाना, मेरे अंदर छिपी बैठी लेखिका को पा लेना लेकिन इस सब के बावजूद मेरा अब तक का सबसे बड़ा अचीवमेंट हैं आप मेरे पाठक !!
आपसे सबसे जुड़ा ये रिश्ता यूँ ही साल दर साल मज़बूत होता रहे…
क्योंकि आप हैं तो हम हैं…
नए साल की आप सबको शुभकामनाएं!